मन का स्वाभाव …..
मन हमेशा एक भिकारी की तरह माँग करता रहता है …और उसका सुनते रहनेसे तुम खुद भी उसके जैसे हो जाते हो ….
हाला की ये बात तूम्हारे पकड़मे नहीं आती … क्यूंकि किसीने मन को मीत कहा है …. वो एक अलग बात है …. बिना मन के तुम कुछ भी नहीं कर सकते … तुम्हें कुछ भी करना होतो मनकी जरूरत तो पड़ेगी ही ना …. ..
